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माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा ।
केतनो गल्तीया रहे बबुवाके सभि माफिबा ।
मिले तोहे घरसे लुकावल चिजवा
जब पुछस बबुवा माइरे घरमे काथीबा ।।
माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा

गउवाके काथावामे रहे दिनभर भुखले ।
बिन पानी पिएले मुहवा सुखले ।
मुह जुठियाइ बान्हल आचारामे परसदिबा ।।
माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा

करि लइकाइमे बडि फटिन्चरइ ।
पढेजाएके बेरा लुकाइजाइ घरहि ।
तबो कहे माइ हमर लइका पढलेले काफिबा ।
खाइ पिइ कमाइ जवन एकर हिस्सा जाथिबा ।।
माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा

दोसरे लइकनसे करि रागडा ।
बिना पुछले माइ करे बबुवा ओरसे झगडा ।
अपन केतनो करिया रहे
कहे हमर लइकवा तोर लगवासे गोर काफिबा ।।
माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा

माइ नाम सुन्दर शब्दवे काफिबा
केतनो गल्तीया रहे सभि माफिबा…

राकेश यादव (मितवा) : वीरगंज

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